निश्चित सफलता का महामंत्र,
यदा यदा ही धर्मस्य,... वो आयेगा अवश्य | किन्तु उसने कहा है, कर्मण्य व अधिकारस्य सचेत व सक्रिय रहने के लिए, कर्तव्य और अधिकार के प्रति सचेत रह कर कर्म करें | बिना कर्म किये फल की कामना निरर्थक है |
उसने प्रकृति को आदेश दिया पेड़ लगाने के लिए| फल मिलेगा किन्तु तोड़ के छीलना, खाना, इतना तो स्वयं करना होगा | कर्म का अर्थ धर्म से अविश्वास नहीं, धर्म का अर्थ अकर्मण्यता नहीं |
धर्म और कर्म एक ही गाड़ी के दो पहिये हैं| गाड़ी दोनों पर चलती है, एक पर नहीं चलती, घसीटनी पड़ती है |
विश्वास रख उस पर, कर्म हो हमारा,
विजय सुनिश्चित, युगदर्पण का नारा|
बिकाऊ मीडिया के सकारात्मक राष्ट्रीय विकल्प की पहल 'युग दर्पण मीडिया समूह'
इसे देखें, समझें व जुड़ें; इस महामंत्र का अधिक से अधिक प्रचार करें | -तिलक, संपादक 9911111611. yugdarpan.com