YDMS चर्चा समूह

बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Sunday, September 30, 2012

निश्चित सफलता का महामंत्र,

निश्चित सफलता का महामंत्र, 
यदा यदा ही धर्मस्य,... वो आयेगा अवश्य | किन्तु उसने कहा है, कर्मण्य व अधिकारस्य सचेत व सक्रिय रहने के लिए, कर्तव्य और अधिकार के प्रति सचेत रह कर कर्म करें | बिना कर्म किये फल की कामना निरर्थक है | 
उसने प्रकृति को आदेश दिया पेड़ लगाने के लिए| फल मिलेगा किन्तु तोड़ के छीलना, खाना, इतना तो स्वयं करना होगा | कर्म का अर्थ धर्म से अविश्वास नहीं, धर्म का अर्थ अकर्मण्यता नहीं |
धर्म और कर्म एक ही गाड़ी के दो पहिये हैं| गाड़ी दोनों पर चलती है, एक पर नहीं चलती, घसीटनी पड़ती है |
विश्वास रख उस पर, कर्म हो हमारा, 
विजय सुनिश्चित, युगदर्पण का नारा|
बिकाऊ मीडिया के सकारात्मक राष्ट्रीय विकल्प की पहल 'युग दर्पण मीडिया समूह'
इसे देखें, समझें व जुड़ें; इस महामंत्र का अधिक से अधिक प्रचार करें -तिलक, संपादक 9911111611. yugdarpan.com

Tuesday, September 4, 2012

जीवन जीने का अर्थ ...

जीवन जीने का अर्थ ...- तिलक
स्वांस लेना ही, कोई जीवन नहीं; यदि अर्थ जीने का, समझ आता नहीं

जीवन है, एक तालाब; जब तक बाहरी विश्व से, परिचित नहीं है आप
जीवन
है, एक नदी; समय की धारा पहचान कर, तैरना जानते नहीं यदि
जीवन है, एक धारा; यदि लक्ष्य से भटकना, किसी भी कारण हो, स्वीकारा
जीवन एक, सागर है;
जब ह्रदय आपका, वसुधैव कुटुम्बकम की गागर है
जीवन तब, महासागर है;
यदि लक्ष्य की सफलता के, बने आप पारंगत हैं
जीवन उनका, सुंदर है; राष्ट्र हित जीने का साहस, जिनके मन अंतर में है

सप्तरंगी जीवन के विविध रंग,
 उतार चढाव, नीतिओं, विसंगतियों के साथ
 दार्शनिकता व यथार्थ जीवन संघर्ष
 के आनंद का यह मेला है- तिलक.

Wednesday, August 29, 2012

मेले कई प्रकार के होते है

मेले कई प्रकार के होते है: जीवन के मेले में ख़ुशी और गम, कभी मिलते हैं सनम कभी सितम,...
Photo: **परिवर्तन-  नियम *****
भ्रस्टाचार ना कभी पैदा हुआ ना कभी ख़त्म हुआ
परिवर्तन है इसका आधार फिर भी पाता सबका प्यार
हर युग में बदला इसका रूप है कहीं छांव तो कहीं धूप है
हर पल एक नया स्वरुप है हर पल यह वक्त के अनुरूप है
आम आदमी अपने पेट के साथ जल जाता है, मर जाता है
यह है भ्रस्टाचार का परिवर्तन, नियम आजीवन नियम चराचर नियम !!----------
 
इसने बदली उसने बदली,जिसकी सत्ता उसने बदली
पाया जिसने सबने बदली ,मन तो बस धन की पगली
कलयुग में बन मर्यादा की चरणपादुका घर - घर पूजा जाता है
जो भ्रस्टाचारी हो मसीहा बन जाता है, इन्सान तो अक्सर छल जाता है
भ्रस्टाचार की आग में अपने पेट के साथ जल जाता है मर जाता है
यह है भ्रस्टाचार का परिवर्तन नियम आजीवन नियम चराचर नियम !!----------
 
आचरण -सभ्यता - परम्परा सबकी आत्मा मार चूका है
भ्रस्टाचार पूर्ण रूप से छा चूका है आ चूका है
बहुत कठिन अब लडाई है जन -जन में इसने आग लगायी है
हर कोई बनता अब भ्रस्टाचार का भाई है ना कोई बहन या भाई है
भ्रस्टाचार की आंधी आई है लड़नी हमें हर लडाई है
भ्रस्टाचार की आग में अपने पेट के साथ जल जाता है मर जाता है
यह है भ्रस्टाचार का परिवर्तन नियम आजीवन नियम चराचर नियम !!----------
 
कलम ही कर सकता है इसका सर कलम, जब मिले कलम से कलम
मत खाओ अपने हालत पे रहम, लड़नी तुम्हे लडाई है
भ्रस्टाचार की आंधी आई है, लड़नी हमें हर लडाई है
योगी मन हर प्राणी अब घायल है, भ्रस्टाचार से पागल है
उठो जागो और लड़ो लडाई , भ्रस्टाचार की आंधी आई है !
भ्रस्टाचार की आग में अपने पेट के साथ जल जाता है मर जाता है
यह है भ्रस्टाचार का परिवर्तन नियम, आजीवन नियम चराचर नियम !!----------
 
यह कविता क्यों ? परिवर्तन के साथ आप इतना ना बदल जाये की वक़्त आने पर खुद को भी परिवर्तित ना कर पायें बचिए और बचाइए अपने आप को और सबको भ्रस्टाचार के नियम से !
जय भारत अरविन्द योगी
 देश में भी कई प्रकार के मेले लगते हैं, कई प्रकार का सामान बिकता है जिसे हम खरीद कर ले जाते हैं अपने घर,.. कभी धार्मिक सांस्कृतिक मेले लगते हैं कभी व्यावसायिक मेले लगते हैं , कोई आवश्यक वस्तुओं का मेला तो  कभी सजावट की वस्तुओं का मेला......
 किन्तु वो मेले याद रखने के लिए नहीं होते, यादगार मेले 2 ही हैं एक आज़ादी से पहले लगा था शहीदों का, एक अब लगा है गद्दारों और लुटेरों का !.....
 वतन पे मिटने वालों को शासन थमाया जो होता, राष्ट्र भक्तों को दिल में बसाया होता; तो ऐसा दिन कभी आया न होता, गद्दारों का मेला यूँ सजाया न होता ! .....वन्देमातरम

Friday, May 25, 2012

जबसे पेट्रोल के मूल्य फिर बढ़े !!....

जबसे पेट्रोल के मूल्य फिर बढ़े, लोगों ने पहले वाहन छोड़ने की सोची, फिर कल्पना की है, अंतत: वाहन से मुक्त होने के लिए क्या किया जा सकता है! -तिलक: संपादक, युग दर्पण मीडिया समूह, tilak@yugdarpan.com, www.yugDarpan.com. 9911111611, 9654675533. (You can share it)
राम राम साय ... पेट्रोल का दाम बढ़ग्या तो बढ़ण देवो क्यु चिंता करो ,,, गाँव जाके २-४ किलो गाय भेंस गो घी ल्या के खाओ ..पैदल ही पेट्रोल कार स्यु ज्यादा भागस्यो साय ...जय राम जी की साय राम राम साय .........

Thursday, May 24, 2012

WebSite &Nationwide net work -YugDarpan

WebSite-www.yugdarpan.com
काश्मीर से कन्याकुमारी, अटक से कटक, सब ओर रिपोर्टर्स का व्यापक jaल, emails - yudarpan reporters,
Haryana--rep.har@yugdarpan.com
Punjab--pun.rep@yugdarpan.com
J & k--jk.rep@yugdarpan.com
H.Pr.--hp.rep@yugdarpan.com
Utrakhand--uk.rep@yugdarpan.com
UP--up.rep@yugdarpan.com
Bihar--bih.rep@yugdarpan.com
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chh.grh--chhg.rep@yugdarpan.com
Rajasthan--raj.rep@yugdarpan.com
Gujrat--guj.rep@yugdarpan.com
MahR--mah.rep@yugdarpan.com
South--Sth.rep@yugdarpan.com
East--est.rep@yugdarpan.co

काश्मीर से कन्याकुमारी, अटक से कटक, सब ओर रिपोर्टर्स का व्यापक jaल, emails - yudarpan reporters,
क्या आप उसके रिपोर्टर बनने को तैयार ओ  

"ज़िन्दगी "
ज़िन्दगी .......मौत की किताब का पहला पन्ना ,
जैसे -जैसे पन्ने पलट रहे है ज़िन्दगी घट रही है ...
हाँ........ बीच में एक हवा का झोंका आया था जिससे कई पन्ने फडफडा कर एक साथ पलट गए ......
पर क्या हुआ.. अभी तो किताब की बहुत सी उम्र बाकी है ,
हाँ है तो पतली सी 64 पेज की पर एक एक अध्याय समझने में एक एक ज़िन्दगी लग जाएगी !
मैंने भी उन बैरन हवाओं का चेहरा पहचान लिया है ,
और एहतियातन इस किताब पर एक कवर चढ़ा लिया है , अब जो भी पन्ना खोलता हूँ तो दोनों पन्नों के बीच में तजुर्बों की कलम रख देता हूँ !
अब ये हवाएं चलती तो है पर मेरा कुछ भी अनहित नहीं कर पाती ........
राज़ ...........

Wednesday, May 16, 2012


17, मई 2012 आज 17 वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन 
माँ, जो गर्भ से मृत्यु तक, हर पल अपने बच्चों के हर दुःख सुख की साथी, जिसकी गोद हर पीड़ा का हरण करती है। बचपन ही नहीं वृद्धावस्था व् जीवन के अंत तक हर पल जब भी तुझे स्मरण करता हूँ भाव विहल हो जाता हूँ। माँ, तेरी याद बहुत आती है, ....माँ, तेरी याद बहुत आती है।
माँ, इन 2 वर्षों में दामाद और बहु भी हो गए हैं शीघ्र ही अगली पीडी भी हो जाएगी। दामाद- सिद्धार्थ है, तथा बहू शालिमा है। तिलक- संपादक युग दर्पण मीडिया समूह, 9911111611, 9654675533.