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: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :
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Friday, January 4, 2013

स्वामी विवेकानन्द 150 वीं जयंती वर्ष

Jagran Patrak

Swami Vivekananda 150th Jayantiस्वामी विवेकानन्द 150 वीं जयंती वर्ष

12 जनवरी 2013 से 12 जनवरी 2014



स्वामी विवेकानन्द को भारत में सब कोई जानते हैं। नरेन्द्र विश्वनाथ दत्त (स्वामी विवेकानन्द) का जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ था। उनके महाविद्यालय में पढ़ते समय ही उनके पिताजी का निधन होने से सारे परिवार को दुःख और दरिद्रता का सामना करना पड़ा। बेकारी, गरीबी और भूख से ग्रस्त ऐसी स्थिति में भी ईश्वर को जानने की उनकी इच्छा तीव्र बनी रही। इस स्थिति में उनका संपर्क श्रीरामकृष्ण परमहंस के साथ हुआ। एक बार जब उन्होंने गुरु श्रीरामकृष्ण परमहंस से मोक्ष के बारे में पूछा तो गुरु ने कहा, ‘‘तू कितना स्वार्थी है रे! केवल स्वयं के बारे में सोचता है! तुझे तो माँ का कार्य करना है!’’
दिव्य अनुभूति की स्थिति में श्रीरामकृष्ण परमहंस ने कहा था, शिव भाव से जीव सेवा। सारे समाज में ही ईश्वर है, प्रत्येक व्यक्ति में ईश्वर है और उसकी सेवा ही पूजा है। सारे विश्व में ईश्वर है यह सत्य होते हुए भी हम इसे जानते नहीं है। इसका अनुभव लेना और इसके अनुसार आचरण तथा व्यवहार करना ही धर्म है। और यह अनुभूति देनेवाला धर्म ही भारत का प्राणस्वर है, भारत की आत्मा है।
अपना भारतीय समाज कैसा है यह समझने के लिए स्वामी विवेकानन्द ने सम्पूर्ण भारत की परिक्रमा की। वे किसान, मजदूर, व्यापारी, उद्योजक, कलाकार, विद्वान, सरदार, राजा-महाराजा सभी को मिले। वे कभी राजमहलों में, महलों में, बंगलों में तो कभी कुटिया में, झुग्गी में, गरीब बस्ती में तो कभी सड़क के किनारे पेड़ के नीचे भी रहे। भारत के गरीब, दीन, पिछड़े समाज को देखकर वे बहुत व्यथित हुए।
उनके मन में विचार आया कि क्या करने से इनकी स्थिति में सुधार होगा? क्या करने से इनके लिए रोटी, कपड़ा, मकान आदि मूलभूत आवश्यकताएँ सहज उपलब्ध होंगी? क्या करने से इनमें विश्वास जगेगा? इस तरह दुखी, चिंतित, अस्वस्थ मन से वे घूमते-घूमते कन्याकुमारी पहुँचे। भारत का उत्थान कैसे होगा यह एक ही विचार उनके मन में भरा था।
मैं क्या कर सकता हूँ? मुझे क्या करना है? इसी विचार में वे समुद्र के बीच स्थित श्रीपाद शिला पर तैरते हुए गये। तीन दिन... पूरे 72 घंटे वे वहाँ ध्यानस्थ गौरव, सुख-समृद्धि और वर्तमान की दीन, गुलामी की अवस्था उनकी नजर के सामने थी। उन्होंने भारत की शक्ति के बारे में सोचा।
ईश्वर सर्वत्र है, यह पूरा अस्तित्व एकात्म है, परमात्मा से जुड़ा हुआ है। भारत का यह आध्यात्मिक ज्ञान ही भारत की शक्ति है। भारत पुण्यभूमि है, तपोभूमि है। दीन, पिछडे़, गरीब सभी में ईश्वर है। इनकी भूली हुई इस शक्ति को इनके ह्रदय में जगाना होगा। यही मेरा जीवन कार्य रहेगा। इनकी सेवा ही मेरे जीवन की योजना होगी। यही था स्वामीजी को अपने गुरु ने बताया हुआ माँ का कार्य।
परदेश में जाकर अपने देशवासियों के लिए मैं क्या कर सकता हूँ, यह विचार उनके मन में आया। 1893 में
अमेरिका के शिकागो में होने वाले सर्व धर्म परिषद में भाग लेने वे अमेरिका गये। दुर्भाग्यवश, उस समिति का पता उनके पास से खो गया। रातभर रेल के माल यार्ड में पड़े एक बड़े बक्से में रहे। कोई सहायता नहीं मिली। नीग्रो, काला कु त्ता  आदि अपमानजनक शब्द मिले। फिर भी प्रयास नहीं छोडा।
स्वामीजी ने शिकागो में दिए व्याख्यान के कारण वे दुनिया में मशहूर हुए। अमेरिका में सुख-सुविधाओं से युक्त अलीशान महलों में उनका निवास था। पर अपने दीन, दरिद्री देशबांधवों की स्मृतिकर वे सो नहीं पाए। रात भर रोते रहे। मैं यहाँ वैभव, सुख-सुविधाओं में! और मेरे देश बांधव कैसी पीड़ा, दुःख और अभाव में जी रहे हैं! क्या करने से इनका दुःख, इनकी पीड़ा दूर होगी? इस विचार से वे रात भर तड़पते रहे, रोते रहे, जैसे माँ अपने बच्चे के लिए तड़पती है। धर्म अनुभूति में है, मत में नहीं। सभी मार्ग एक ही गंतव्य की ओर जाते हैं। सबका स्वीकार, तिरस्कार नहीं। सब से स्नेह, घृणा या ईष्र्या नहीं। उन्होंने विश्व परिवार का विचार बताया। विश्वबंधुत्व का सन्देश दिया। दुनिया में परिवार के समान स्नेह और भाईचारा हो, यह बताया। भौतिकता, गलत विचार की धर्मांधता के कारण मानव समाज में अशांति, हिंसा बढे़गी और इस सब के लिये उपाय आध्यात्मिकता ही हो सकती है। इसलिए भारत को जाग्रत होना होगा, समर्थ होना होगा।
पश्चिम के देशों से भी वे भारत के लिए एक उपहार लेकर आये - संगठन। संगठित होकर हम समाज की, वंचित भारत की सेवा करेंगे। संगठित होकर उनका दुःख और अभाव दूर करने का प्रयास करेंगे। यही होगा हमारा कार्य! और इसका सूत्र रहेगा- त्याग और सेवा! समाज के लिए समय निकाल कर समाज की सेवा करना। अपने जीवन में स्वयं के सुख का, काम का त्याग करें और वही समय तथा शक्ति सेवा कार्य में लगाएं।
इस वर्ष (2013.2014) स्वामी विवेकानन्द जन्म का सार्धशती समारोह संपन्न हो रहाहै। इस समारोह में सम्मिलित होकर इसके आयोजन में, प्रचार में, संपर्क अभियान में सहभागी होना है।
इस निमित्त छोटे-छोटे कार्य समाज की सेवा के लिये करने हैं। दूसरों के दुःख, कष्ट दूर करने हैं। अपना सुख बाद में। समाज के कल्याण का कार्य करना ही ईश्वर प्राप्ति है। मनःशांति का यही मार्ग है। यही अध्यात्म है, धर्म है। इसे अपने और सभी के जीवन में लाना है।
यह कार्य युवकों के द्वारा ही होगा यह सोच कर अमेरिका से भारत लौटकर उन्होंने कोलम्बो से अल्मोड़ा तक प्रवास किया। अपने व्याख्यानों से देशभर के युवकों को प्रेरित किया। उनके विचार ही अनेक युवकों के जीवन के सूत्र बने। वे कहते थे -
‘‘मेरा विश्वास आधुनिक युवा पीढ़ी में है। इन्ही में से मेरे कार्यकर्ता आएँगे और सिंह के समान पुरुषार्थ कर सभी समस्याओं का समाधान करेंगे।’’ - ऐसा था उनका युवकों पर विश्वास।
महिलाऐं शक्तिस्वरूपा हैं। वे कहते थे- “ऐसा क्यों है कि हमारा देश सभी देशों में कमजोर और पिछड़ा है? क्योंकि यहाँ शक्ति की अवहेलना होती है, शक्ति का अपमान होता है।’’
शिक्षा के बारे में उन्होंने कहा- ‘‘हमें एैसी शिक्षा की आवश्यकता है जिससे चरित्र निर्माण हो, मानसिक शक्ति बढे, बुद्धी विकसित हो और मनुष्य अपने पैरों पर खडा होना सीखे।’’
राजाओं, महाराजाओं, सरदारों और बुद्धिजीवियों को उन्होंने समाज की सेवा के लिए प्रेरित किया। उद्योग के साथ रोजगार और समृद्धि आयेगी यह सोच कर टाटा जैसे उद्योगकों को विज्ञान, तंत्रज्ञान के अध्ययन के लिए प्रेरणा दी।
एक बार कुछ युवा स्वामीजी से मिलने आये। युवकों ने पूँछा, ‘‘धर्म क्या है?’’ स्वामीजी ने कहा, ‘‘गुलामों के लिए कहाँ का धर्म? पहले स्वतंत्र बनो।’’ स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारक नेता जैसे तिलक, गांधी, नेहरु, सुभाषचंद्र बोस आदि सभी की प्रेरणा स्वामी विवेकानन्द थे।
स्वामी विवेकानन्द का कार्य आज भी चल रहा है। अनेक व्यक्ति, संस्था और संगठन इस कार्य में लगे हैं। उसीका परिणाम है कि भारत जाग रहा है, विश्वास के साथ खड़ा हो रहा है। बहुत सारा अच्छा हुआ है - हो रहा है।
परन्तु यह पर्याप्त नहीं है। जीवन की, विकास की दिशा में आज भी पश्चिमी अनुकरण हो रहा है। अभी भी बहुत सारे देहातों में, झुग्गियों में हालात अच्छे नहीं है। व्यक्तिवादिता हावी होने के कारण अच्छाई का, नैतिकता का ह्रास दिख रहा है। इसलिये स्वामी विवेकानन्द ने जो कार्य शुरू किया है उसे समझना होगा, आगे बढ़ाना होगा।
‘‘स्वामी विवेकानन्द की 150 वीं जयंती’’- यह उचित अवसर है कि स्वामीजी का, उनके विचारों का परिचय युवकों, किशोरी, महिलाओं, ग्राम तथा गिरिवासिओं, समाज के प्रबुद्ध वर्ग को, सभी को हो।
आइये! पूरे जोश और उत्साह के साथ इस पवित्र राष्ट्रकार्य में जुट जाएँ! स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह हम सभी मिलकर मनाएँगे, समाज के हर वर्ग को जगाएँगे और भारत का, पूरे विश्व का आध्यात्मिक मार्गदर्शन करने का जो नियत कार्य है उसके लिये उसे सक्षम बनायेंगे।

भारत जागो! विश्व जगाओ!!

Saturday, December 29, 2012

गीत "संकल्प 2013"


गीत "संकल्प 2013" 

वन्देमातरम, 
भारत माता के पीड़ित वंशजो। जिस अंग्रेजियत ने हमें यह हैप्पी न्यू इयर दिया, उसीके न्यू इयर के अवसर पर, उसीके कारण आज यह देश इस मोड़ पर खड़ा है। कथित आज़ादी के बाद शीर्ष तक जाने के मार्ग भटकने में भूल गए, पहाड़ पर फिसलने का परिणाम। पहाड़ अब फिर से चढ़ेंगे, इस राष्ट्र की डगर पे, किन्तु जरा संभलके। इस पर मंथन, विचार व उपचार, एक नए गीत संकल्प 2013 के माध्यम से देने का प्रयास कर रहा हूँ। चिकित्सीय जाँच के लिए विचार व संकल्प 2013 में मिलेगा उपचार। "मेरा भारत महान" इसे उपहास का विषय बना कर रोके गए, सत्य को जन जन तक पहुंचाएं। कृ.यथासंभव: हमारा भावात्मक मिलान, गीत के सुर मिलान में दर्शायें, व दोहराएंगे।
गीत "संकल्प 2013" 
*ये मेरा प्यारा देश महान, जिसका यश गाता था जहान।
क्यों? उसके ये दुरदिन आये, के सारा देश हुआ परेशान।  
एक कदम फिसले न संभालता, चाहे कितना रहे पहलवान। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
*ऋषि मुनि, महापुरुषों व क्रान्तिकारियों का कर्मक्षेत्र यह।
आतंक भ्रष्टाचार अनाचार और दुराचार का शासन बना ?
दवा लगानी है जो घाव पर, कर जाँच कारण को पहचान। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
*जब राजा ही करे व्याभिचार, तो जनता हो जाती लाचार।
पहला बन्दर सोया रहता है,  दूजा तेरे दर्द नहीं सुनता है।
मौन रहे पर सत्य  कहता, आश्वासन है पाखंड ये जान।  
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
*चोर को थानेदार बनाया, फिर चोरी करने को उकसाया।
अपनों को धक्का देके भगाया, पहले इस गलती को मान।
संकल्प 2013 लेकर तूँ आजा, महाभारत के इस मैदान। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,..
*इन सब को पहचान लिया तो अब टिकने न देंगे भारत में।
मायावी मृग को  हरने देंगे हम अब कोई सीता भारत में।
65 वर्षों हमें छला गया, अब और छलने न देंगे भारत में। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
*आओ फिरसे बनाये देश महान, जिसका यश गाये सारा जहान।
हम सोने की चिड़िया ऐसी बनायें, जहाँ कोई न हो परेशान। 
आने वाला कल चमकाने में, हम आज कर जायेंगे बलिदान। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
*ये मेरा प्यारा देश महान, जिसका यश गाता था जहान।
क्यों? उसके ये दुरदिन आये, के सारा देश हुआ परेशान।  
एक कदम फिसले न संभालता, चाहे कितना रहे पहलवान। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण

Wednesday, December 26, 2012


अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं

हिंदी, Bangla, Tamil, Telugu, malmkannad, Odiya, Gujrati, Gumu, Eng... 

 "अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं; 
(गुलामी के संकेत/हस्ताक्षर, जो मनाना चाहें)
उमंग उत्साह, चाहे जितना दिखाएँ; 
चैत्र के नव रात्रे, जब जब भी आयें
घर घर सजाएँ, उमंग के दीपक जलाएं; 
आनंद से, ब्रह्माण्ड तक को महकाएं; 
विश्व में, भारत का गौरव बढाएं " 
जनवरी 2013, ही क्यों ? वर्ष के 365 दिन ही मंगलमय हों, 
भारत भ्रष्टाचार व आतंकवाद से मुक्त हो, 
हम अपने आदर्श व संस्कृति को पुनर्प्रतिष्ठित कर सकें ! 
इन्ही शुभकामनाओं के साथ, भवदीय.. तिलक 
संपादक युगदर्पण राष्ट्रीय साप्ताहिक हिंदी समाचार-पत्र. YDMS 09911111611. 

Bangla... 

 অংগ্রেজী কা নব বর্ষ, ভলে হী মনাএং 

 "অংগ্রেজী কা নব বর্ষ, ভলে হী মনাএং; (দাসত্ব সংকেত / সাইন, যা তুষ্ট হতে পারে) উমংগ উত্সাহ, চাহে জিতনা দিখাএঁ; চৈত্র কে নব রাত্রে, জব জব ভী আযেং; ঘর ঘর সজাএঁ, উমংগ কে দীপক জলাএং; আনংদ সে, ব্রহ্মাণ্ড তক কো মহকাএং; বিশ্ব মেং, ভারত কা গৌরব বঢাএং "জানুয়ারি 1, 2013,হী কেন ? বর্ষ কে 365 দিন হী মংগলময হোং, ভারত ভ্রষ্টাচার ব আতংকবাদ সে মুক্ত হো, হম অপনে আদর্শ ব সংস্কৃতি কো পুনর্প্রতিষ্ঠিত কর সকেং ! ইন্হী শুভকামনাওং কে সাথ, ভবদীয.. তিলক সংপাদক যুগদর্পণ রাষ্ট্রীয সাপ্তাহিক হিংদী সমাচার-পত্র. YDMS 09911111611. 
Tamil... "அங்க்றேழி கா நவ்வர்ஷ், பாளே ஹாய் மணாஎன்"
 "அங்க்றேழி கா நவ்வர்ஷ், பாளே ஹாய் மணாஎன்; (மயக்க இது அடிமைத்தன சமிக்ஞை / அடையாளம்,) உமங்க் உட்சாஹ், சாஹெ சித்னா டிக்ஹாஎன்; செட்ர் கே நவ்ராற்றே, ஜப் ஜப் பீ ஆயேன்; கர் கர் சஜாயேன், உமாங் கே தீபக் ஜலாயேன்; ஆனந்த சே, பிராமாந்து தக் கோ மஹ்காயென்; விஷ்வ மீ, பாரத் கா கௌரவ் படாஎன். "ஜனவரி 1, 2013, ஏன்ஒரே ஒரு? வ வர்ஷ் கே 365 டின் ஹாய் மங்கலமாய் ஹோண், பாரத் பிராஷ்டாச்சர் வ ஆடன்க்வாத் சே முகத் ஹோ, ஹம அப்னே ஆதர்ஷ் வ சன்ச்க்ருடி கோ புன்ர்ப்ரடிஷ்திட் கற் சகேன் ! இன்ஹி சுபா காமனாஒன் கே சாத், பாவ்டிய.. திலக் சம்பாடக் யுக டர்பன் ராஷ்ட்ரிய சப்டாஹிக் ஹிந்தி சமாச்சார்-பற்ற. YDMS 09911111611.
 Eng.  "One may celebrate even English New Year, (Slavery signal / sign, you may coax) with exaltation and excitement; Chaitra Nav Ratre whenever it comes; decorate house, enlighten with lamps of exaltation; enjoy, even enrich the universe with Happiness; Increase the India's pride in the world, Why January 1, 2013, alone ? All the 365 days of the year are Auspicious, May India be free of corruption and terrorism, we can ReEstablish Ideals, values and culture ! with these good wishes, Sincerely .. Tilak editor YugDarpan Hindi national weekly newspaper. YDMS 09,911,111,611.
 Odiya ..not getting ? 
 "Angrejee kaa nav-varsh, bhale hi manaayen; (Gulaami ke sanket /  , jo  manana  chahen ? umang utsaah, chaahe jitnaa dikhaayen; chetr ke nav-raatre, jab jab bhi aayen; ghar ghar sajaayen, umang ke deepak jalaayen; Aanand se, brahmaand tak ko mahkaayen; Vishva me, Bhaarat kaa gaurav badaayen." matr 1 Jan 2013, hi kyon ? varsh ke 365 din hi mangalmay hon, Bhaarat bhrashtaachar v aatankvaad se mukt ho, ham apne aadarsh v sanskruti ko punrpratishthit kar saken ! inhi shubhakaamanaaon ke saath, bhavdiya.. Tilak Sampaadak Yug Darpan Raashtriya Saptaahik Hindi Samaachar-Patra. YDMS 09911111611.
 Telugu "అంగ్రేజీ కా నవ్వర్ష్, భలే హాయ్ మనాఎన్; 
"అంగ్రేజీ కా నవ్వర్ష్, భలే హాయ్ మనాఎన్; (పొగడ్తలు ఇది బానిసత్వం సిగ్నల్ / గుర్తు) ఉమంగ్ ఉత్సః, చాహే జితనా దిఖాఎన్; చేతర్ కె నవరాత్రు, జబ జబ భి ఆయెన్; ఘర్ ఘర్ సజాఎన్, ఉమంగ్ కె దీపక్ జలాఎన్; ఆనంద్ సే, బ్రహ్మాండ్ తక కో మహ్కాఎన్; విశ్వ మే, భారత్ కా గౌరవ్ బదాఎన్. " జనవరి 1, 2013, ఎందుకు మాత్రమే  వ వర్ష కె 365 దిన్ హాయ్ మంగల్మి హాన్, భారత్ భ్రష్టాచార్ వ ఆటన్క్వాద్ సే ముక్త  హో, హం అపనే ఆదర్శ్ వ సంస్కృతి కో పున్ర్ప్రతిశ్తిట్ కర్ సకేన్ ! ఇంహి శుభాకామనావున్ కె సాత్, భవదీయ.. తిలక్ సంపాదక్ యుగ దర్పన్ రాష్ట్రీయ సప్తాహిక్ హిందీ సమాచార్-పాత్ర. YDMS 09911111611.
 Gujrati અંગ્રેઝી કા નવવર્ષ, ભલે હી માંનાયેન; 
"અંગ્રેઝી કા નવવર્ષ, ભલે હી માંનાયેન; (સ્લેવરી સિગ્નલ / સાઇન છે, કે જે મનાવવું શકે છે) ઉમંગ ઉત્સાહ, ચાહે જીતના દીખાયેન; ચેત્ર કે નવરાત્રે, જબ જબ ભી આયેન; ઘર ઘર સજાયેન, ઉમંગ કે દિપક જલાયેન; આનંદ સે, બ્રહ્માંડ તક કો મહ્કાયેન; વિશ્વ મેં, ભારત કા ગૌરવ  બદાયેન. "માત્ર જાન્યુઆરી 1, 2013, શા માટે? વર્ષ કે 365 દિન હી મંગલમય હોં, ભારત ભ્રષ્ટાચાર વ આતંકવાદ સે મુક્ત હો, હમ અપને આદર્શ વ સંસ્કૃતિ કો પુન્ર્પ્રતીશ્થીત કર સકેં ! ઇન્હી શુભકામનાઓન કે સાથ, ભવદીય.. તિલક સંપાદક યુગ દર્પણ રાષ્ટ્રીય સાપ્તાહિક હિન્દી સમાચાર -પત્ર.YDMS 09911111611.
 kannad "ಆಂಗ್ರೆಶಿ ಕಾ ನವ -ವರ್ಷ, ಭಲೇ ಹಿ ಮನಾಯೇನ್; 
"ಆಂಗ್ರೆಶಿ ಕಾ ನವ -ವರ್ಷ, ಭಲೇ ಹಿ ಮನಾಯೇನ್; (ಏಕಾಕ್ಷ ಇದು ಗುಲಾಮಗಿರಿ ಸಂಕೇತ / ಸೈನ್) ಉಮಂಗ್ ಉತ್ಸಃ, ಚಾಹೆ ಜಿತನಾ ದಿಖಾಯೇನ್; ಚೆತ್ರ್ ಕೆ ನವ್ರಾತ್ರೆ, ಜಬ್ ಜಬ್ ಭಿ ಆಯೇನ್; ಘರ್ ಘರ್ ಸಜಾಯೇನ್, ಉಮಂಗ್ ಕೆ ದೀಪಕ್ ಜಲಾಯೇನ್; ಆನಂದ್ ಸೆ, ಬ್ರಹ್ಮಾಂದ್ ತಕ ಕೊ ಮಹ್ಕಾಯೇನ್; ವಿಶ್ವ ಮೇ, ಭಾರತ ಕಾ ಗೌರವ್ ಬದಾಯೇನ್. "ಜನವರಿ 1, 2013, ಏಕೆ ಮಾತ್ರ ವ ವರ್ಷ ಕೆ 365 ದೀನ್ ಹಿ ಮಂಗಲ್ಮಿ ಹೊಂ, ಭಾರತ ಭ್ರಷ್ತಾಚರ್ ವ ಆತಂಕ್ವಾದ್ ಸೆ ಮುಕ್ತ ಹೊ, ಹಮ್ ಅಪನೇ ಆದರ್ಶ್ ವ ಸಂಸ್ಕೃತಿ ಕೊ ಪುನ್ರ್ಪ್ರತಿಷ್ಟ್ಹತ್  ಕರ್  ಸಕೆನ್ ! ಇನ್ಹಿ ಶುಭಕಾಮನಾಒನ್ ಕೆ ಸಾಥ್, ಭಾವ್ದಿಯ.. ತಿಲಕ್ ಸಂಪಾಡಕ್ ಯುಗ ದರ್ಪಣ್ ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಸಪ್ತಾಹಿಕ್ ಹಿಂದಿ ಸಮಾಚಾರ್ -ಪತ್ರ . YDMS 09911111611.
 Gumu. "ਅੰਗ੍ਰੇਜੀ ਦਾ ਨਵਾਂ ਵਰਸ਼ ਭਲੇ ਹੀ ਮਨਾਓ
"ਅੰਗ੍ਰੇਜੀ ਦਾ ਨਵਾਂ ਵਰਸ਼ ਭਲੇ ਹੀ ਮਨਾਓ, ਗੁਲਾਮੀ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ /ਸੰਕੇਤ, ਉਮੰਗ ਉਤਸਾਹ ਚਾਹੇ ਜਿਤਨਾ ਦਿਖਾਓ; ਚੇਤਰ ਦੇ ਨਵਰਾਤਰੇ ਜਦ ਜਦ ਵੀ ਆਉਣ; ਘਰ ਘਰ ਸਜਾਓ, ਉਮੰਗ ਦੇ ਦੀਪਕ ਜਲਾਓ; ਆਨਾਨਾਦ ਨਾ ਬ੍ਰਹ੍ਮਾੰਡ ਨੂ ਮਹ੍ਕਾਓ, ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਦਾ ਗ਼ੋਰਾਵ ਵਧਾਓ. "1 ਜਨ. 2013 ਹ ਕਯੋਂ ? ਵ ਵਰ੍ਸ਼ ਦੇ 365 ਦਿਨ ਹੀ ਮੰਗਲ ਮਯ ਹੋਣ, ਭ੍ਰਸ਼੍ਟਾਚਾਰ ਤੇ ਆਤੰਕ ਵਾਦ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਮੁਕਤ ਹੋਵੇ, ਅਸਾਂ ਆਪਣੇ ਆਦਰ੍ਸ਼ ਤੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਿ ਨੂੰ ਫੇਰ ਸ੍ਥਾਪਿਤ ਕਰ ਸਕਿਏ ! ਇਨਹਾਂ ਸ਼ੁਭ ਕਾਮਨਾਵਾਂ ਦੇ ਨਾਲ, ਆਪਦਾ.. ਤਿਲਕ -ਸੰਪਾਦਕ ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, ਰਾਸ਼੍ਟ੍ਰੀਯ ਸਾਪ੍ਤਾਹਿਕ ਸਮਾਚਾਰ ਪਤ੍ਰ. YDMS 09911111611.
 malm "അന്ഗ്രെജീ  കാ  നവ വര്‍ഷ, ഭലേ ഹി മനായേന്‍; 
"അന്ഗ്രെജീ  കാ  നവ വര്‍ഷ, ഭലേ ഹി മനായേന്‍; (ഗുലാമി ക പ്രറ്റീക്/സന്കെറ്റ്, ജോ മനന ചാഹെ) ഉമന്ഗ് ഉറ്റ്സാഹ്, ചാഹെ ജിതനാ ദിഖയെന്‍; ചേട്ര്‍ കെ നവ്രട്രെ, ജബ് ജബ് ഭീ ആയെന്‍; ഘര്‍ ഘര്‍ സജായെന്‍, ഉമന്ഗ് കെ ദീപക് ജലായെന്‍; ആനന്ദ് സെ, ബ്രഹ്മാന്ദ് ടാക് കോ മഹാകായെന്‍; വിശ്വ് മി, ഭാരത കാ ഗൌരവ് ബടായെന്‍. "ഐ ജന. 2013 ഹി ക്യോന്‍? വ വര്‍ഷ കെ 365 ദിന്‍ ഹി മങ്ങല്‍മി ഹോണ്‍, ഭാരത ഭ്രാഷ്ടാചാര്‍ വ ആടങ്ക്വാദ് സെ മുക്റ്റ് ഹോ, ഹാം അപ്നെ ആദര്‍ശ് വ സന്സ്ക്രുടി കോ പുന്ര്പ്രടിശ്തിറ്റ് കാര്‍ സകെന്‍ ! ഇന്ഹി ശുഭ കാമ്നാഒന്‌ കെ സാത്, ഭവദീയ.. തിളക് സംപാടാക് യുഗ്ദാര്പന്‍ രാഷ്ട്രീയ ഹിന്ദി സമാചാര്‍ പടര്‍. YDMS 09911111611.

पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है| -युगदर्पण

Monday, March 15, 2010

नव संवत 2067 की शुभकामनाएं.

अंग्रेजी का नव वर्ष भले हो मनाया,
उमंग उत्साह चाहे हो जितना दिखाया;
विक्रमी संवत बढ़ चढ़ के मनाएं,
चैत्र के नवरात्रे जब जब आयें;
घर घर सजाएँ उमंग के दीपक जलाएं,
खुशियों से ब्रहमांड तक को महकाएं.
यह केवल एक कैलेंडर नहीं प्रकृति से सम्बन्ध है,
इसी दिन हुआ सृष्टि का आरंभ है.
युगदर्पण परिवार की ओर से अखिल विश्व में फैले हिन्दू समाज
सहित, चरअचर सभी के लिए गुडी पडवा, उगादी,
नवसंवत 2067 की शुभकामनाएं.
HAPPY UGADI TO YOU ALL
Ugadi marks the beginning of a new Hindu lunar calendar.
Celebrated mostly in Andhra Pradesh and Karnataka, it is a day
when mantras are chanted and predictions are made for the new
year. The most important part is Panchanga Shravanam -hearing
of the Panchanga. The Panchanga Shravanam is usually done at
the temples by priests. Before reading out the annual forecasts
as predicted in the Panchanga, the officiating priest reminds the
participants of the creator, Brahma, and the span of creation of
the universe.Kavi Sammelanam (poetry recitation) is a typical
Ugadi feature. A literary feast for poets and public alike, many
new poems written on subjects as varied as Ugadi, politics,
modern trends and lifestyle are presented. Kavi Sammelanam is
also a launch pad for budding poets. And is usually carried live
on All India Radio's Hyderabad 'A' station and Doordarshan,
Hyderabad following 'panchanga sravanam'(NewYear calendar).
The tastes of Ugadi are actually 6,Neem Buds/Flowersfor Bitter
Raw Mango for Tangy,Tamarind Juice for Sour,
Green Chilli for Hot,Jaggery for Sweet,Pinch of Salt for Salt:
which symbolizes the fact that life is a mixture of different
expereinces (sadness, happiness, anger, fear, disgust, surprise),
which should be accepted together and with equanimity.
HAPPY UGADI TO YOU ALL
तिलक संपादक युगदर्पण. .
(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-09911111611,9911145678,9540007993. www.bharatchaupal.blogspot.com/ www.deshkimitti.blogspot.com