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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :
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Sunday, May 5, 2013

श्री मोदी ने कर्नाटक में बुनियादी ढांचे में सुधार लाने पर भाजपा सरकार को बधाई दी।

श्री मोदी ने कर्नाटक में बुनियादी ढांचे में सुधार लाने पर भाजपा सरकार को बधाई दी।
अब देश के शीर्ष मीडिया ने भी मोदी का सकारात्मक प्रस्तुतीकरण आरंभ किया यह एक शुभ संकेत है ! बंगलौर एक चुनावी समर में बेलगाम जन सभा से पूर्व का स्वागत दृश्य। नीचे प्राप्त भाषण के अंश व पूरे भाषण का वीडियो सहित YDMS 
न तो बंगलौर और न ही बेलगाम मेरे लिए नए हैं। मैं 1991-1992 में डा. मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में यात्रा का हिस्सा था।  क्योंकि उस समय सड़कों की हालत खराब थी, जहां हमें सायं 8 बजे पहुँचना था, हम रात के 2 बजे पहुंचे। सड़क के बुनियादी ढांचे में महान काम के लिए मैं भाजपा सरकार को बधाई देता हूं। पिछली बार जब मैं बेलगाम आया लोगों ने पानी की समस्या के बारे में बात की थी। कुछ तहसील इस तरह के थे, कि कई टैंकरों की जरूरत थी। जगदीश जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार को बधाई देता हूं, पानी की समस्या समाप्त करने के लिए एक वैज्ञानिक ढंग से कदम उठाए हैं। अब पानी भी है और किसानों को भी ड्रिप सिंचाई के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।  इससे पहले यह माना जाता था, जहां गन्ना खेती होता है, सूक्ष्म सिंचाई नहीं हो सकती। गुजरात ने अन्यथा यह साबित कर दिया है और यहाँ बेलगाम में भी गन्ना के साथ जुड़े किसान सूक्ष्म सिंचाई का उपयोग कर रहे हैं, मुझे इस पर गर्व है।
प्रधानमंत्री कर्नाटक आये थे। कम से कम आप भाग्यशाली हैं कि यहाँ वह कुछ बोले। दिल्ली में वह बात नहीं करते। दिल्ली में प्रधानमंत्री भी बात नहीं कर सकते! तो यह कर्नाटक में बहुत अच्छा है कि कम से कम वह कुछ कह सकते हैं।   और वह [प्रधानमंत्री] बिजली की स्थिति के बारे में कैसे बात कर सकते है?  जिनके कारण, देश बिजली के संकट से जूझ रहा था? वह यह वर्तमान केन्द्र सरकार है, जिसके [प्रधानमंत्री] की प्राथमिकता बड़े लोगों की सेवा, बड़े हवाई अड्डों का निर्माण करना है, ? कि उनकी प्राथमिकताओं में उसने वह बिजली के बारे में कभी क्यों नहीं सोचा है?  जिसके शासन में भारत अंधेरे में था? उत्तर भारत 2 दिनों के लिए अंधेरे में था। जिसने अस्पतालों में ऑपरेशन रोका, गाड़ियों बंद कर दिया: श्री मोदी ने प्रधानमंत्री डा. सिंह से प्रश्न किया ?  
आप जवाब देने के लिए सक्षम नहीं है! उस समय के बिजली संकट के लिए विफल मंत्री, को पदोन्नत कर रक्षा मंत्री किया गया था यह क्या सोच व प्रक्रिया है? क्या कारण है, आप देश के लिए काला धन वापस नहीं ला रहे हैं? आज बिजली संकट का कारण, संप्रग सरकार की एक नीति नहीं होना है। कि केंद्र सौर नीति भी गुजरात के बाद ही लाया है। केंद्र सरकार की कथित अधिक उदार नीति है और अभी तक सौर ऊर्जा उत्पादन के 90% भाजपा शासित राज्यों ने प्रदान की। उन्होंने कहा कि मैं जगदीश जी को बधाई देता हूं, कि उन्होंने कर्नाटक को दिल्ली की दया पर नहीं छोड़ा, तथा कर्नाटक में सौर ऊर्जा नेटवर्क बनाया।
राष्ट्र के हित के लिए कांग्रेस परेशान नहीं है। अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए वे सीबीआई व सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग, विरोधियों को लक्ष्य करने में वे उनका उपयोग करें। कोई संस्था जिसका कांग्रेस द्वारा दुरुपयोग नहीं किया गया है? उन्ह भाजपा पर हमला करने के लिए समय है, भीतर से राष्ट्र को नष्ट कर दिया गया है किन्तु पाक या चीन के प्रतिकार के लिए कोई समय नहीं है?
 कांग्रेस अच्छी तरह से राष्ट्र की जा रही है पर इसकी परवाह नहीं है. वे सीबीआई का दुरुपयोग. वे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए लक्ष्य opponents.Congress के लिए सरकारी एजेंसियों का उपयोग करें.  जो छोड़ दिया है. यह सीबीआई और अन्य संवैधानिक निकायों का दुरूपयोग करने के लिए आता है जब सरकार दक्षता से पता चलता है. इस तरह आप आप फँस जाएगा कि बनाया है और उन में गिर गयी day.Support सीबीआई की धमकी पर लिया जाता है और द्रमुक जैसे किसी ने निकाल लेता था तो सीबीआई ने छापे चेन्नई में ही घंटों में वहाँ थे कि खाइयों हैं. कुछ दिन पहले वे अनुसूचित जाति में पकड़े गए थे. अब यह resignMr की जाएगी, जो सवाल है. गोल्डन चम्मच, मुझे कहा कि क्या अपने ही पिता की याद दिलाती है ... है कि संसद से पंचायत तक कांग्रेस देश की राजनीति का बोलबाला है जब एक समय में. उन्होंने कहा कि हर एक रुपए में से, केवल 15p लोगों तक पहुँचता बाहर कहा. जो 85p लिया है कि हाथ था?
राष्ट्र एक ऐसी सरकार के साथ सुरक्षित है? केरल सुरक्षित के मछुआरे थे लद्दाख सुरक्षित के लोग थे? सरबजीत सुरक्षित था? पाकिस्तान अतिरिक्त न्यायिक हत्या क्या था. वे उसे मार दिया. एक बार जब भारत सरकार ने सरबजीत की जान खतरे में है पता करने के लिए आया था, इस मुद्दे पर दुनिया में आम सहमति निर्मित किया गया है चाहिए, पाकिस्तान पर दबाव put.After आप अपने काम over.A केरल मंत्री मुझसे मिलने आया है सोचा था कि सरबजीत के परिवार पहुंच पाकिस्तान बना होना चाहिए था . उसकी गलती वह मुझसे नमस्ते कहा था. एक भारतीय राज्य से एक मंत्री दूसरे राज्य से एक मुख्यमंत्री और उसके पास से जवाब की मांग कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से मिलता है. लेकिन इसके साथ ही कांग्रेस सरकार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चिकन बिरयानी में कार्य करता है. और कहा कि पाकिस्तान अपने सैनिकों की दो beheads भी बाद.
40 साल के लिए नहीं हुआ क्या, भाजपा सरकार ने 5 वर्षों में किया गया है. भाजपा सरकार बेलगाम को काफी सम्मान दिया गया है.
वे दिल्ली में इतनी बड़ी सरकार है, लेकिन दिल्ली में सुरक्षित है? महिलाएं सुरक्षित हैं? यह भ्रष्टाचार से मुक्त है? दिल्ली में इतने सारे पाप कर रहे हैं, आप उन्हें कर्नाटक में प्रवेश करने की अनुमति दे सकते हैं? यहां कांग्रेस लाओ और दिल्ली और राष्ट्र के लिए हो रहा है कि एक ही बात किसी को भी चाहे समस्या घर में क्या हो सकता है के एक घर जला Karnataka.Does में क्या होगा? फिर कर्नाटक बर्बाद नहीं होने देते. हम इतना भी कहना है कि हम बनाया है जो गलती की है, हम it.Can किसी भी कांग्रेसी को सुधारने के लिए तैयार कर रहे हैं कि लोगों के बीच जाने की हिम्मत है? इसके बजाय, चोर पुलिस को इशारा कर रहा है! उनका अहंकार आसमान उच्च है. 40 साल के लिए नहीं हुआ क्या, भाजपा सरकार ने 5 वर्षों में किया गया है. भाजपा सरकार बेलगाम को काफी सम्मान दिया गया है. जगदीश जी बेलगाम यहां विधानसभा सत्र मिला.
राजनीतिक अस्पृश्यता कांग्रेस का स्वभाव बन गया है.
उनकी रिट पाकिस्तान, मालदीव, इटली, चीन के साथ चला, लेकिन वे भाजपा सरकारों पर बंदूकों को प्रशिक्षित नहीं है. वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन के लिए आया था, उन सभी, जो कांग्रेस सरकार ने उन्हें यह नोटिस भेजा है. राजनीतिक अस्पृश्यता उनके स्वभाव है.
जहां लक्ष्मी जी कहाँ रहता है कि कमल खिलता
हम पिछली कांग्रेस सरकारों के पापों को धोने के 5 साल बिताए हैं. हम Samrudha और Sukhi कर्नाटक की ओर बढ़ना है. लोटस के लिए 5 वोट पर और कर्नाटक के आसपास मंडराना सकता है कि काले बादलों को दूर: मैं भाजपा victoriousTill कांग्रेस वहाँ बनाने के लिए आग्रह करता हूं, राष्ट्र एक कभी नहीं हो सकता. जहां लक्ष्मी जी कहाँ रहता है कि कमल खिलता है,.
सोनिया जी ने बेलगाम के लिए आया था और सभी प्रकार की बातें कहा. कीमत एक मुद्दा वृद्धि या नहीं है? 

फिर भी वह it.Soniaji के बारे में कुछ भी 100 दिनों में हम कीमतों को नीचे लाने के लिए कहा कि यह नहीं कहा. आज देश जवाब मांग रहा है. हम कीमतें बढ़ रही हैं कि आरटीआई अपनी खुली की जरूरत नहीं! क्या गरीब वह माफी माँगता था गरीब खुश हैं? सोनिया जी, आप, अपने आप को एक माँ, प्रकाश स्टोव करने में सक्षम नहीं हैं कि इस तथ्य के बारे में सोनिया जी ने बात करते सोनिया जी ने बेलगाम के लिए आया था और सभी प्रकार की बातें कहा. कीमत एक मुद्दा वृद्धि या नहीं है? फिर भी वह इस बारे में कुछ नहीं कहा.हैं. गरीब परेशान किया जा रहा है, लेकिन आप नहीं ले जाया जाता है. कम से कम तुम कुछ शब्द कह सकते थे.

Narendra Modi's Belgaum Speech Full http://www.youtube.com/watch?v=_wOSzCQ4Ldo&list=PL07E4C2D4718D3CC6&index=64

प्रशासनिक स्थिरता गुजरात की सफलता के पीछे एक बड़ा कारण है। एक परिवर्तन के करने के लिए एक साहस और उसके साथ अपनी ताकत का उपयोग करने की आवश्यकता है। पानी और लौह अयस्क की कमी के साथ यदि गुजरात, कृषि और इस्पात उद्योग में नेतृत्व कर सकता हैं, तो बारहमासी नदियों और लौह अयस्क भंडार के साथ राष्ट्र, क्यों नहीं कर सकता ? गुजरात भारत के सौर केंद्र के रूप में उभरा है। सूर्य हर किसी जगह आता है, किन्तु इसका यह उर्जा दोहन आवश्यक है।
Home  |  www.narendramodi.in नरेंद्र मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री 
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, 
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
http://newsreel-realnews.blogspot.com/2013/05/blog-post.html

Wednesday, May 1, 2013

मई दिवस व श्रमिक दिवस का अन्तर

मई दिवस व श्रमिक दिवस का अन्तर
कभी शिकागो में हुए श्रमिक उत्पीड़न के विरुद्ध उचित है आक्रोश ,
किन्तु नकारात्मकता ही होता है आक्रोश से उपजा हुआ वह जोश।
शिकागो या वामपंथियों के लिए तो बस एक मुद्दा चाहिए,
भारत के श्रमिकों के लिए एक सकारात्मक उर्जा चाहिए।
मुद्दा व उर्जा का यही अन्तर मई दिवस श्रमिक दिवस का अन्तर है,
विश्वकर्मा जयन्ती 17 सित. में वह उर्जा है श्रमिक दिवस का मंत्र है।।
सोने की लंका व समुद्र में द्वारिका के निर्माण का निर्देश लेते हैं,
भगवान विश्वकर्मा संघर्ष का नहीं सृजन का सदा सन्देश देते हैं।।-तिलक
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल  अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी इस सोच  संघर्ष के साथी बन सकते हैं, इसके समर्थक बनकर आप भी अपने ई-मेल से पा सकते हैं सभी लेख व ताज़ा सामग्री। योगदानकर्ता बन सकते हैं प्रकाशनार्थ अपने लेख व अन्य सामग्री सम्बद्ध ब्लाग में भेज कर,
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-संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. 9911111611, 9999777358, 9911383670. yugdarpan.com ,
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है| -युगदर्पण
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
 इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प
-युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक

Wednesday, April 24, 2013

राष्ट्र चेतना पुनर्जागरण व प्रतिष्ठा !

राष्ट्र चेतना पुनर्जागरण   प्रतिष्ठा महावीर जयन्ती व हनुमान जयन्ती की सभी धर्म प्रेमियों को युगदर्पण परिवार की ओर से हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।  इस सप्ताह का (YDMS) संकल्प 3, 
मैकालेवादी दास प्रवृति  मानसिकता के लोगों की अपने विदेशी स्वामियों के प्रति जितनी निष्ठा है, यदि उसका 1 लाखवां अंश भी अपनी भारत भूमि के प्रति निष्ठा रहती: तो भारत की यह दुर्दशा कभी  होती।  भारत के पुत्रो, आइये राष्ट्र की इस सुप्त चेतना को पुनर्जागृत  प्रतिष्ठित करें। -तिलक YDMSवन्देमातरम
जय श्री राम, भारत माता की जय
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल  अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी इस सोच  संघर्ष के साथी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,  Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, कृ आप मझे अब फेस बुक नामक फेक बुक पर नहीं, जी + पर ही संपर्क करें! तिलक 
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"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
 योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक

Monday, April 22, 2013

राष्ट्र व हिंदुत्व के सभी समर्थक कृ. ध्यान दें :

राष्ट्र व हिंदुत्व के सभी समर्थक कृ. ध्यान दें : वन्देमातरम, राष्ट्र व हिंदुत्व के सभी समर्थक:, क्या आप जानते व मानते हैं कि इस देश का मीडिया नकारात्मक व बिकाऊ है ? क्या आपने युग दर्पण मीडिया 
समूह के  विविध विषयों के 28 ब्लाग व चेनल देखे हैं ? क्या आप युग दर्पण मीडिया समूह के व्यापक गहन समर्पित कार्य को नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक सार्थक व्यापक विकल्प के रूप में देखते हैं तथा इसके साथ जुड़ कर मैकालेवाद के व्यापक दुष्प्रभावों का व्यापक सार्थक तोड़ देने में सहयोग देना चाहते हैं ? आप चाहें तो आप भी इस सोच  संघर्ष के साथी बन सकते हैं, इसके समर्थक बनकर आप भी अपने ई-मेल से पा सकते हैं, सभी लेख व ताज़ा सामग्री। योगदानकर्ता बन सकते हैं, प्रकाशनार्थ अपने लेख व अन्य सामग्री सम्बद्ध ब्लाग में भेज कर अन्यथा प्रचारक तो बन ही सकते हैं। Be a member YDMS Support Group -Supporter, contributor, promotional Team, Vote any or all above Options in Blogs of your Choices. poll window at side Bar. Thanks. समाचार पत्र अथवा किस विषय के ब्लाग में रूचि है, पता व अपने संक्षिप्त परिचय सहित आज ही संपर्क करें, भविष्य में मुझे आप समाचारपत्र के अतिरिक्त अंतरताने के 28 ब्लाग या जी+ पर ही पाएंगे किन्तु फेस बुक नामक फेक बुक पर नहीं। तिलक संपादक युग दर्पण मीडिया समूह YDMS नकारात्मक मीडिया का सकारात्मक सार्थक व्यापक विकल्प का संकल्प सभी सूत्र वेब से लें  www. yugdarpan.com 
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Thursday, January 31, 2013

मोहित रेलन व मिली की जोड़ी, प्रथम वर्षगांठ 30.1.2013, तक की स्मृतियों

मोहित रेलन व मिली की जोड़ी, प्रथम वर्षगांठ 30.1.2013, तक की स्मृतियों
झरोखे Our First wedding Anniversary :) Mohit -Shalima Rampal (Relan) में मोहित रेलन व मिली की जोड़ी के विवाह पूर्व से, प्रथम वर्षगांठ 30.1.2013, तक की स्मृतियों को अति सुन्दर ढंग से संजोया है। अपने स्मरणीय दिवस को एक स्मरणीय व आकर्षक रूप देकर जीवनसाथी के लिए इससे उत्तम उपहार और क्या होगा ? बहुत बहुत बधाई, ये जोड़ी सदा बनी रहे। सात समन्दर की ये दूरियाँ शीघ्र समाप्त हो जाएँ। आपका आगामी जीवन सब प्रकार से आनन्दमय रहे, हमें पोते का सुख मिले। इन्ही कामनाओं के साथ - तिलक रेलन. YDMS

Tuesday, January 22, 2013

कैसी स्वतंत्रता कैसा गणतन्त्र


कैसी स्वतंत्रता कैसा गणतन्त्र 


देश की कोई दुर्दशा पर भी, जब सत्ता की नींद न खोले;
सब जनता इनसे त्रस्त होके, जब अपने मुख से बोले
आतंकियों को बिरयानी व निहत्थों पर लाठी चलवायें;
इस तन्त्र को गणतंत्र मान, कहो भला अब कैसे मनाएं?
सत्ता इसके तन्त्र व बिकाऊ मीडिया को देना है धिक्कार;
सबसे पहले, स्वतंत्रता व गणतंत्रता दिवस का बहिष्कार
अधिनायकवादी सत्ता का विरोध, अपना है सदा अधिकार; 
क्या आपभी मेरी बातसे सहमत हैं और है यह स्वीकार-तिलक 
सत्य का तथ्य 
पहले जयचंद सा गद्दार, कभी कोई होता था !
ज हर ओर उन जैसों का आभास होता है
एक छिद्र मात्र से, नौका को डूबा देते हैं;
छननी की नौका, बनाने की सोच लेते हैं !
तुरंत डुबाने के इसी कुचक्र से उपजी कांग्रेस;
का जनक था, ए ओ ह्यूम नामक एक अंग्रेज । -तिलक 
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है| -युगदर्पण

Saturday, January 5, 2013

स्वामी विवेकानन्द महान।


स्वामी विवेकानन्द महान।
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पैदा हुए थे जिस धरती पर, स्वामी विवेकानन्द महान।जिसका यश गाता रहा ये जहान, है मेरा प्यारा हिन्दोस्तान।
ये मेरा प्यारा देश महान, जन्मे स्वामी विवेकानन्द महान।
*देवी देवता, ऋषि मुनि, व महापुरुषों की कर्मस्थली यह।
ज्ञान विज्ञान, विश्व बंधुत्व, प्रेम शौर्य, मानवीय धर्मक्षेत्र है।
मानव ही नहीं जीव जंतु, व पर्यावरण समन्वय का दे ज्ञान।
इसीलिए था विश्वगुरु, तब इस पर क्यों न करें अभिमान ? 
*ग्रहण लगा था विश्वगुरु को, और मानवता जब थी बन्दी। 
आतताइयों के कृत्यों से जब यह धरा हुई सारी थी गन्दी।
1863 में भारत में जन्मे, राज था अंधकार का व फैला अज्ञान
जब ज्ञान खोजता विश्व था, शिकागो में तब कराई पहचान।
*जब राजा ही करे व्याभिचार, तो जनता हो जाती लाचार।
पहला बन्दर सोता रहता है, देश का दर्द न दूजा सुनता है।
मौनी बाबा सत्य  कहता, आश्वासन के पाखंड दिखाता है। 
तभी हैं ऐसे दुरदिन ये आये, कि सारा देश हुआ परेशान। 
*आओ फिरसे बनाये देश महान, जिसका यश गाये सारा जहान।
हम सोने की चिड़िया ऐसी बनायें, जहाँ कोई न हो परेशान। 
आने वाला कल चमकाने में, हम आज कर जायेंगे बलिदान। 
मेरा भारत, सदा रहा है महानये मेरा प्यारा देश महान,...
जिसका यश गाता रहा ये जहान, है मेरा प्यारा हिन्दोस्तान।
पैदा हुए थे जिस धरती पर, स्वामी विवेकानन्द महान।
है मेरा प्यारा हिन्दोस्तान,  ये मेरा प्यारा देश महान,...
है मेरा प्यारा हिन्दोस्तान,  ये मेरा प्यारा देश महान,...
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"  युगदर्पण

Friday, January 4, 2013

स्वामी विवेकानन्द 150 वीं जयंती वर्ष

Jagran Patrak

Swami Vivekananda 150th Jayantiस्वामी विवेकानन्द 150 वीं जयंती वर्ष

12 जनवरी 2013 से 12 जनवरी 2014



स्वामी विवेकानन्द को भारत में सब कोई जानते हैं। नरेन्द्र विश्वनाथ दत्त (स्वामी विवेकानन्द) का जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ था। उनके महाविद्यालय में पढ़ते समय ही उनके पिताजी का निधन होने से सारे परिवार को दुःख और दरिद्रता का सामना करना पड़ा। बेकारी, गरीबी और भूख से ग्रस्त ऐसी स्थिति में भी ईश्वर को जानने की उनकी इच्छा तीव्र बनी रही। इस स्थिति में उनका संपर्क श्रीरामकृष्ण परमहंस के साथ हुआ। एक बार जब उन्होंने गुरु श्रीरामकृष्ण परमहंस से मोक्ष के बारे में पूछा तो गुरु ने कहा, ‘‘तू कितना स्वार्थी है रे! केवल स्वयं के बारे में सोचता है! तुझे तो माँ का कार्य करना है!’’
दिव्य अनुभूति की स्थिति में श्रीरामकृष्ण परमहंस ने कहा था, शिव भाव से जीव सेवा। सारे समाज में ही ईश्वर है, प्रत्येक व्यक्ति में ईश्वर है और उसकी सेवा ही पूजा है। सारे विश्व में ईश्वर है यह सत्य होते हुए भी हम इसे जानते नहीं है। इसका अनुभव लेना और इसके अनुसार आचरण तथा व्यवहार करना ही धर्म है। और यह अनुभूति देनेवाला धर्म ही भारत का प्राणस्वर है, भारत की आत्मा है।
अपना भारतीय समाज कैसा है यह समझने के लिए स्वामी विवेकानन्द ने सम्पूर्ण भारत की परिक्रमा की। वे किसान, मजदूर, व्यापारी, उद्योजक, कलाकार, विद्वान, सरदार, राजा-महाराजा सभी को मिले। वे कभी राजमहलों में, महलों में, बंगलों में तो कभी कुटिया में, झुग्गी में, गरीब बस्ती में तो कभी सड़क के किनारे पेड़ के नीचे भी रहे। भारत के गरीब, दीन, पिछड़े समाज को देखकर वे बहुत व्यथित हुए।
उनके मन में विचार आया कि क्या करने से इनकी स्थिति में सुधार होगा? क्या करने से इनके लिए रोटी, कपड़ा, मकान आदि मूलभूत आवश्यकताएँ सहज उपलब्ध होंगी? क्या करने से इनमें विश्वास जगेगा? इस तरह दुखी, चिंतित, अस्वस्थ मन से वे घूमते-घूमते कन्याकुमारी पहुँचे। भारत का उत्थान कैसे होगा यह एक ही विचार उनके मन में भरा था।
मैं क्या कर सकता हूँ? मुझे क्या करना है? इसी विचार में वे समुद्र के बीच स्थित श्रीपाद शिला पर तैरते हुए गये। तीन दिन... पूरे 72 घंटे वे वहाँ ध्यानस्थ गौरव, सुख-समृद्धि और वर्तमान की दीन, गुलामी की अवस्था उनकी नजर के सामने थी। उन्होंने भारत की शक्ति के बारे में सोचा।
ईश्वर सर्वत्र है, यह पूरा अस्तित्व एकात्म है, परमात्मा से जुड़ा हुआ है। भारत का यह आध्यात्मिक ज्ञान ही भारत की शक्ति है। भारत पुण्यभूमि है, तपोभूमि है। दीन, पिछडे़, गरीब सभी में ईश्वर है। इनकी भूली हुई इस शक्ति को इनके ह्रदय में जगाना होगा। यही मेरा जीवन कार्य रहेगा। इनकी सेवा ही मेरे जीवन की योजना होगी। यही था स्वामीजी को अपने गुरु ने बताया हुआ माँ का कार्य।
परदेश में जाकर अपने देशवासियों के लिए मैं क्या कर सकता हूँ, यह विचार उनके मन में आया। 1893 में
अमेरिका के शिकागो में होने वाले सर्व धर्म परिषद में भाग लेने वे अमेरिका गये। दुर्भाग्यवश, उस समिति का पता उनके पास से खो गया। रातभर रेल के माल यार्ड में पड़े एक बड़े बक्से में रहे। कोई सहायता नहीं मिली। नीग्रो, काला कु त्ता  आदि अपमानजनक शब्द मिले। फिर भी प्रयास नहीं छोडा।
स्वामीजी ने शिकागो में दिए व्याख्यान के कारण वे दुनिया में मशहूर हुए। अमेरिका में सुख-सुविधाओं से युक्त अलीशान महलों में उनका निवास था। पर अपने दीन, दरिद्री देशबांधवों की स्मृतिकर वे सो नहीं पाए। रात भर रोते रहे। मैं यहाँ वैभव, सुख-सुविधाओं में! और मेरे देश बांधव कैसी पीड़ा, दुःख और अभाव में जी रहे हैं! क्या करने से इनका दुःख, इनकी पीड़ा दूर होगी? इस विचार से वे रात भर तड़पते रहे, रोते रहे, जैसे माँ अपने बच्चे के लिए तड़पती है। धर्म अनुभूति में है, मत में नहीं। सभी मार्ग एक ही गंतव्य की ओर जाते हैं। सबका स्वीकार, तिरस्कार नहीं। सब से स्नेह, घृणा या ईष्र्या नहीं। उन्होंने विश्व परिवार का विचार बताया। विश्वबंधुत्व का सन्देश दिया। दुनिया में परिवार के समान स्नेह और भाईचारा हो, यह बताया। भौतिकता, गलत विचार की धर्मांधता के कारण मानव समाज में अशांति, हिंसा बढे़गी और इस सब के लिये उपाय आध्यात्मिकता ही हो सकती है। इसलिए भारत को जाग्रत होना होगा, समर्थ होना होगा।
पश्चिम के देशों से भी वे भारत के लिए एक उपहार लेकर आये - संगठन। संगठित होकर हम समाज की, वंचित भारत की सेवा करेंगे। संगठित होकर उनका दुःख और अभाव दूर करने का प्रयास करेंगे। यही होगा हमारा कार्य! और इसका सूत्र रहेगा- त्याग और सेवा! समाज के लिए समय निकाल कर समाज की सेवा करना। अपने जीवन में स्वयं के सुख का, काम का त्याग करें और वही समय तथा शक्ति सेवा कार्य में लगाएं।
इस वर्ष (2013.2014) स्वामी विवेकानन्द जन्म का सार्धशती समारोह संपन्न हो रहाहै। इस समारोह में सम्मिलित होकर इसके आयोजन में, प्रचार में, संपर्क अभियान में सहभागी होना है।
इस निमित्त छोटे-छोटे कार्य समाज की सेवा के लिये करने हैं। दूसरों के दुःख, कष्ट दूर करने हैं। अपना सुख बाद में। समाज के कल्याण का कार्य करना ही ईश्वर प्राप्ति है। मनःशांति का यही मार्ग है। यही अध्यात्म है, धर्म है। इसे अपने और सभी के जीवन में लाना है।
यह कार्य युवकों के द्वारा ही होगा यह सोच कर अमेरिका से भारत लौटकर उन्होंने कोलम्बो से अल्मोड़ा तक प्रवास किया। अपने व्याख्यानों से देशभर के युवकों को प्रेरित किया। उनके विचार ही अनेक युवकों के जीवन के सूत्र बने। वे कहते थे -
‘‘मेरा विश्वास आधुनिक युवा पीढ़ी में है। इन्ही में से मेरे कार्यकर्ता आएँगे और सिंह के समान पुरुषार्थ कर सभी समस्याओं का समाधान करेंगे।’’ - ऐसा था उनका युवकों पर विश्वास।
महिलाऐं शक्तिस्वरूपा हैं। वे कहते थे- “ऐसा क्यों है कि हमारा देश सभी देशों में कमजोर और पिछड़ा है? क्योंकि यहाँ शक्ति की अवहेलना होती है, शक्ति का अपमान होता है।’’
शिक्षा के बारे में उन्होंने कहा- ‘‘हमें एैसी शिक्षा की आवश्यकता है जिससे चरित्र निर्माण हो, मानसिक शक्ति बढे, बुद्धी विकसित हो और मनुष्य अपने पैरों पर खडा होना सीखे।’’
राजाओं, महाराजाओं, सरदारों और बुद्धिजीवियों को उन्होंने समाज की सेवा के लिए प्रेरित किया। उद्योग के साथ रोजगार और समृद्धि आयेगी यह सोच कर टाटा जैसे उद्योगकों को विज्ञान, तंत्रज्ञान के अध्ययन के लिए प्रेरणा दी।
एक बार कुछ युवा स्वामीजी से मिलने आये। युवकों ने पूँछा, ‘‘धर्म क्या है?’’ स्वामीजी ने कहा, ‘‘गुलामों के लिए कहाँ का धर्म? पहले स्वतंत्र बनो।’’ स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारक नेता जैसे तिलक, गांधी, नेहरु, सुभाषचंद्र बोस आदि सभी की प्रेरणा स्वामी विवेकानन्द थे।
स्वामी विवेकानन्द का कार्य आज भी चल रहा है। अनेक व्यक्ति, संस्था और संगठन इस कार्य में लगे हैं। उसीका परिणाम है कि भारत जाग रहा है, विश्वास के साथ खड़ा हो रहा है। बहुत सारा अच्छा हुआ है - हो रहा है।
परन्तु यह पर्याप्त नहीं है। जीवन की, विकास की दिशा में आज भी पश्चिमी अनुकरण हो रहा है। अभी भी बहुत सारे देहातों में, झुग्गियों में हालात अच्छे नहीं है। व्यक्तिवादिता हावी होने के कारण अच्छाई का, नैतिकता का ह्रास दिख रहा है। इसलिये स्वामी विवेकानन्द ने जो कार्य शुरू किया है उसे समझना होगा, आगे बढ़ाना होगा।
‘‘स्वामी विवेकानन्द की 150 वीं जयंती’’- यह उचित अवसर है कि स्वामीजी का, उनके विचारों का परिचय युवकों, किशोरी, महिलाओं, ग्राम तथा गिरिवासिओं, समाज के प्रबुद्ध वर्ग को, सभी को हो।
आइये! पूरे जोश और उत्साह के साथ इस पवित्र राष्ट्रकार्य में जुट जाएँ! स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह हम सभी मिलकर मनाएँगे, समाज के हर वर्ग को जगाएँगे और भारत का, पूरे विश्व का आध्यात्मिक मार्गदर्शन करने का जो नियत कार्य है उसके लिये उसे सक्षम बनायेंगे।

भारत जागो! विश्व जगाओ!!