दिल्ली नगर निगम चुनाव 2012 कई प्रकार से ऐतिहासिक है.
दिल्ली नगर निगम को 3 भागों उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी में विभाजित किये जाने के पश्चात् हुए प्रथम चुनाव में अब दिल्ली से 3 महापौर बनेंगे.
कुल 272 वार्ड हैं जिनमें आधे महिलाओं के लिए 20% अनु.जाती के लिए आरक्षित रखे गए हैं,आगामी निगम चुनाव में बदल कर आरक्षित का सामान्य और सामान्य का आरक्षित हो जायेगा. कुल 2423 प्रत्याशी खड़े हैं.
इस परिवर्तन के कारण कई पार्षद अपना चुनाव क्षेत्र बदलने अथवा अपनी पत्नी को नामांकित करवाने को बाध्य हो गए, तथा कई विद्रोही हो गए. वैसे तो यह स्थिति दोनों प्रमुख दल भाजपा व् कांग्रेस को ही झेलनी पड़ी किन्तु देश के बिकाऊ मीडिया के लिए कांग्रेस का विद्रोह एक समाचार था और भाजपा का एक मुद्दा, जिसे उछाल कर भाजपा की छवि धूमिल की जाने से दोहरा लाभ था, TRP और सोनिया की कृपा.
चुनाव से पूर्व कुछ सडकों व् क्षेत्रों की दुर्दशा पर युग दर्पण का रिपोर्ट कार्ड हमने जारी किया था इसमें वार्ड 100 की पार्षद हारेगी,75 का भी संभवत हारेगा. मतदान का बढता प्रतिशत संकेत दे रहा है.
जनता /आम आदमी का कांग्रेस से मोहभंग भविष्य की रूप रेखा रच रहा है.
आगामी विधान सभा और फिर लोक सभा के चुनाव आम आदमी के कोप का प्रकोप दिखायेंगे.
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है!
आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
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